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The fourth episode features Neha Dixit who claims that journalists need their legs more than their brains. As she narrates experiences from sting operations and press releases, she demystifies investigative journalism and reveals how it's not one mysterious tip but rather mundane legwork that breaks the biggest stories.
Neha Dixit is an Indian freelance journalist covering politics, gender, and social justice. She has been awarded over a dozen awards including the Chameli Devi Jain Award (2016) as well as CPJ International Press Freedom Award (2019). She also serves as visiting faculty for Media Studies at Ashoka University.
10 years ago, F-Rating was created to help classify films which are written or directed by one or more female film-makers, or feature complex female characters who contribute significantly to the story. But what if ‘feminist’ is not a noun but an adjective? What if the feminist lens lends itself to all practices and not only film-making? Nirantar Radio brings to you ‘F-Rated Interviews’ where The Third Eye team speaks to different practitioners about their practice - but with a feminist lens.
New episode every fortnight.
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Produced by: Juhi Jotwani and Madhuri Adwani
Artwork: Tavisha Singh
F-रेटेड इंटरव्यूह में आगे बढ़ते हुए हम पहुंच चुके हैं अपने चौथे एपिसोड में जहां इस बार हमारे साथ हैं वह पत्रकार जिनका नाम भारत में इंनवेस्टिगेटिव रिपोर्टर्स में सबसे अग्रणी नामों में शामिल हैं. मिलिए नेहा दीक्षित से जो एक स्वतंत्र पत्रकार हैं और दिल्ली में रहती हैं. उन्होंने कई विभिन्न माध्यमों में चर्चित एवं प्रसिद्ध संस्थानों के साथ काम किया है. इसमें प्रमुख हैं: कारवां, आउटलुक, द वायर, न्यूज़मिनिट, अल जज़ीरा टीवी, और वॉशिंगटन पोस्ट.
‘एक खोजी पत्रकार के लिए दिमाग से ज़्यादा पैरों की ज़रूरत होती है.’ एक प्रोफेसर द्वारा दी गई इस सीख को अपने काम में गांठ बांधकर रख लेने वाली नेहा का मानना है कि खोजी पत्रकारिता ज़मीन पर जाकर ही की जा सकती है. यही वजह है कि अशोका यूनिवर्सिटी के अपने छात्रों से लेकर तमाम उन स्टूडेंट्स के लिए जिनके भीतर पत्रकारिता की लौ जल रही है, उनकी एक ही सलाह है कि, “करो, एक विषय लो, फील्ड पर जाओ, और करो.”
नेहा दीक्षित राजनीति, जेंडर और सामाजिक न्याय से जुड़े विषयों पर काम करती हैं. 16 साल के पत्रकारिता करियर में उन्हें दर्जनों अवॉर्ड प्राप्त हो चुके हैं जिनमें अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता पुरस्कार 2019, अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता में कर्ट शॉर्क पुरस्कार (2014), लोरेंजी नटाली पुरस्कार (2011), उत्कृष्ट महिला पत्रकार के लिए चमेली देवी जैन पुरस्कार (2016) शामिल हैं. वर्तमान में वह अशोका यूनिवर्सिटी में मीडिया स्टडीज़ विभाग के साथ बतौर विज़िटिंग फैकल्टी जुड़ी हुई हैं.
अक्टूबर 2014 में आयोजित बाथ फिल्म फेस्टिवल के दौरान पहली बार एफ (F) रेटिंग की शुरुआत हुई. एफ (F) रेटिंग का मतलब उन फिल्मों से है जिसकी निर्देशक महिला हों, या फिल्म की लेखक महिला हों और अगर कोई महिला मुख्य किरदार की भूमिका में है तो फिर वह कहलाता है गोल्ड रेटिंग, मतलब ट्रिपल एफ (F)! दरअसल, एफ (F) रेटिंग की बुनियाद फिल्मों में और पूरी फिल्म उद्योग में महिलाओं के लिए बराबरी के दर्जे से है.
कल्पना कीजिए एक ऐसी दुनिया जहां नारीवादी नज़रिया सिर्फ फिल्मों में ही नहीं बल्कि सभी प्रथाओं में केंद्रीय भूमिका में हो? इस कल्पना को साकार करते हुए आज हम इस नारीवादी नज़रिए को पॉडकास्ट के बरास्ते आपके पास लेकर आए हैं. इस शो में आप मिलेंगे अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले अभ्यासकर्ताओं से और नारीवादी नज़र को केंद्र में रखते हुए द थर्ड आई टीम के साथ होंगी रोचक, शानदार, जानदार बातें.
द थर्ड आई अपराध संस्करण को यहां देखें: https://thethirdeyehindi.in/volume/ank-005-apraadh/
हिंदी और अंग्रज़ी में हमारी वेबसाईट का पता: https://thethirdeyehindi.in/ और https://thethirdeyeportal.in/
निर्माता : जूही जोतवानी और माधुरी आडवाणी
कवर इमेज : तविशा सिंह
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August 25, 2022
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